मंगलवार, 9 मई 2017

हवाई-चप्पल की घिसाई

          "आप लोग, लोगों को चप्पल घिसवाने से बाज आईए" एक शिकायत-समाधान-प्रकोष्ठ में सुना गया था यह वक्तव्य! सुनकर हवाई-चप्पल पर भी व्यंग्यनुमा कुछ लिखने का क्लू सा मिल गया। वैसे इस बात पर मैं इतना तो कहुँगा, "चप्पल पहनने वाले का चप्पल कोई घिसवाता नहीं, पहनने वाला स्वयं अपनी चप्पल घिस लेता है।"
       
           मैंने स्वयं देखा है, बल्कि देखा ही नहीं अनुभव भी किया है कि लोग घिसी-घिसाई हवाई-चप्पल की बद्धी बदल-बदल कर, तब तक पहनते रहते हैं, जब तक उसमें रंचमात्र भी घिसने की संभावना बची रहती है। लेकिन हो सकता है दुनियाँ अब और बदल गई हो, क्योंकि आज डिजाइनर टाइप के चप्पलों का भी जमाना है, इसीलिए हवाई-चप्पल पर बात होने लगी है। शायद, इन्हीं डिजाइनर हवाई-चप्पल पहनने वाले के लिए हवाई जहाज में सफर करने की बात की जा रही है।
          
         अब जो भी बात हो, बेचारे हवाई-चप्पल पहनने वाले को अपना चप्पल घिसने से फुर्सत मिले तभी तो वह हवाई-जहाज पर सवार हो पाएगा? मैं तो मानता हूँ उसे इस काम से फुर्सत मिल ही नहीं सकती।
          
         एक दिन एक चमचमाते बूटनुमा जूते और एक घिसी-पिटी हवाई-चप्पल के बीच हुई वार्ता को मैंने भी सुना था -
        
          वह चमचमाता बूट हवाई-चप्पल को आईना दिखाते हुए कह रहा था - "क्यों री...तू घिस-घिसकर बड़ी ट्रांसपिरेंट होती जा रही है..फिर भी तू अपने मालिक को छोड़ नहीं रही !"
          
          चमचमाते बूट में अपने उभरे अक्स को देख सकपकाते हुए चप्पल ने कहा - अब मुझसे नहीं चला जाता पर क्या करूँ.. मेरा मालिक मुझे छोड़ता ही नहीं!"
         
          इस पर चमचमाता बूट घिसी हुई हवाई-चप्पल से बोला - "चलो अच्छी बात है, तुम जितनी घिसती हो उतनी ही हमारी चमक भी बढती है।"
          
         इस वार्तालाप के बीच में एक तीखे स्वर ने जूते और चप्पल के बीच के वार्ताक्रम को तोड़ दिया -
          
        "देखो, तुम्हारा नाम सर्वे सूची में नहीं है...मैं कुछ नहीं कर सकता, मैं नियम-कानून ताक पर रखकर काम नहीं कर सकता..!"
       
          "हुजूर! इसमें मेरा क्या दोष है.. मैं तो कई बार आया.. लेकिन मेरी कोई सुनवाई ही नहीं.. सूची में नाम नहीं, तो मेरा कउन दोष..मैं क्या करूँ?"
        
         "क्या करूँ, मतलब ? अरे भाई! अब तो हवाई-चप्पल वाले भी हवाई जहाज से उड़ सकते हैं! जाओ, हवाई-जहाज से उड़कर दिल्ली चले जाओ और सूची में अपना नाम सम्मिलित करा कर फिर वापस आकर बताओ..तब देखते हैं..समझे!"
            
           इस आवाज के साथ ही जूते में हलचल हुई और इसकी चमक में चप्पल का अक्स खो गया। हाँ, चमकते बूट के आईने में घिसे-पिटे हवाई-चप्पल को अपनी निरीहता की झलक मिल चुकी थी । वाकई, घिस-पिट कर निरीह हो जाना ही होता है।
          
         देखा ! हवाई-चप्पल वाले को हवाई-जहाज से उड़कर दिल्ली जाने की सलाह दी जा रही है, इसे चप्पल घिसवाना तो नहीं ही कहा जा सकता..! बल्कि हवाई-जहाज में उड़ना तो हवाई-चप्पल पहनने वाले की खुशनसीबी है!! हम तो कहेंगे कि चप्पल घिसाई चप्पल पहनने वाले की स्वयं की खुराफात है।
           
           वैसे मैं,चप्पल पहनने को फैशन मानता हूँ, क्योंकि चप्पल पहने पैरों को बार-बार निहारता रहता हूँ, इस फैशन के चक्कर में ही मैं भी चप्पल पहनता हूँ।
      
           एक बात और है, चप्पल पहनना रिलैक्स टाइप की फीलिंग टच लिए होता है, बस जूते पहनने वालों के बीच असहजता आ जाती है क्योंकि ये जूते वाले लोग अपने बीच चप्पल वाले को हिकारत भरी नजरों से देखते हैं। लेकिन कुछ भी हो, चप्पल पहनना नेता बनने का प्राथमिक लक्षण भी है। कुछ लोग तो हवाई-चप्पल पहन-पहन कर नेता बन बैठे हैं, इसीलिए हवाई-चप्पल वालों को ज्यादा तरजीह देने की जरूरत नहीं है।

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