बुधवार, 28 अगस्त 2019

धारा 370 हटाए जाने के मायने

       मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा ३७० हटाकर कश्मीर और शेष भारत के बीच संवैधानिक स्वरूप ग्रहण कर चुके मनोवैज्ञानिक अलगाव की भावना को समाप्त किया है। सन 47 में कश्मीर की जो भी स्थिति रही हो, लेकिन तब से लेकर आज तक इसे भारत का अभिन्न अंग माना गया। इसके बावजूद इस धारा की चुभन की पीड़ा को कम करने के लिए ही बार बार राष्ट्रीय भावना को व्यक्त करते समय भारत की एकता की बात पर बल दिया जाता रहा है। धारा 370 भारत की एकता के बीच एक प्रश्नचिह्न्न की तरह था। इसके प्रावधान से कश्मीरियत के संरक्षण के बजाय अलगाववादी विचारधारा प्रोत्साहित हो रही थी और साम्प्रदायिक मानसिकता को उभारकर पाकिस्तान इसका लाभ उठा रहा था। शायद यही कारण है कि इसके हटाए जाने से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है, क्योंकि कश्मीर के विवाद में भारत को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलती दिखाई दे रही है।
          लेकिन कतिपय विपक्षीदल इसके हटाए जाने पर अपनी दिशा तय नहीं कर पा रहे हैं, इसके पीछे किसी सैद्धांतिक की बजाय राजनीतिक कारण की भूमिका अधिक है। ये जानते हैं कि यदि यह नीति असफल होती है तो उनका विरोध याद किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर ये इसे साम्प्रदायिक नजरिए से भी ये देख रहे हैं और अप्रत्यक्षत: मुस्लिम मतों का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करने की उनकी यह एक कोशिश भी है, क्योंकि इन्हें विश्वास है कि किसी भी नेता का आभामंडल उसका साथ दूर तक नहीं देता और जनता उसकी सफलता या असफलता को धीरे-धीरे विस्मृत करती चली जाती है।
          
         यहाँ एक महत्त्वपूर्ण बात यह देखने की है कि, कुछ विपक्षी नेताओं के विरोध के स्वर को पाकिस्तान भारत के विरूद्ध प्रोपैगंडा फैलाने के लिए कर रहा है, यह स्थिति ठीक नहीं। विपक्षी नेताओं को इसमें राजनीतिक अवसर तलाशने से बचना चाहिए, क्योंकि इतिहास में इस विरोध को भी याद रख जाएगा। विरोध की एक दूसरी धारा संविधानवादियों या मानवतावादियों की है,  जो विरोध से केवल यह सिद्ध करना चाहते हैं कि वे संविधानवादी या मानवतावादी हैं, यहाँ इनके लिए राज्य अप्रत्यक्ष रूप से गौड़ हो जाता है।

          कुलमिलाकर देखा जाए तो धारा 370 हटाने की कार्यवाही संवैधानिक हो या असंवैधानिक, यह एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव उत्पन्न करता है, ऐसी स्थिति में इसकी संवैधानिकता का प्रश्न गौण हो जाता है। दरअसल इस धारा को हटाकर उस भ्रम के आवरण को उच्छिन्न किया गया है, जिसका लाभ पाकिस्तान लेता आया है। इसलिए भारतीय जनता को इसके हटाए जाने की संवैधानिकता से कोई मतलब नहीं, इससे जो संदेश गया है उससे मतलब है।

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