मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

लाल बत्ती

      वे दौड़-दौड़ कर अपनी लाल बत्ती उतार रहे हैं। जैसे बत्ती उतारते हुए ये कह रहे हों, “लो अभी हम भी, आम आदमी टाइप का बने जा रहे हैं।”  मतलब यही एक बत्ती ही तो थी, जो उन्हें आम आदमी नहीं बनने दे रही थी। अब इन्होंने आम आदमी बनने का ठान लिया है, लालबत्ती उतार कर ही दिखाएंगे। और हाँ, अब आम आदमी के लिए काम करते हुए उसके जैसा दिखना भी तो चइए! 
        
         भाई, अजब तमाशा है!! दरअसल इस देश को, इसी तरह से समस्याओं का इलाज भी मिलता रहा है, एकदम चूरनछाप अंदाज में..! कि, चूरन फांकों और समस्या से निजात पाओ, वैसे ही लालबत्ती उतारो और वीवीआईपी-पने से निजात पाओ। इधर जनता भी खुश है, जैसे उसके हाथ कोई मनरेगा टाइप की योजना लग गई हो और उसकी रोजमर्रा की समस्या खतम!! 
         
           लेकिन आपको नहीं पता, ये लालबत्ती उतारे हुए लोग तो, आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले लोग हैं! सच तो यह है, इन लाल बत्ती वालों की यह एक अदद बत्ती ही तो थी जिसे देखते ही हम इनसे सावधान हो जाते थे। हमें तो बस चिन्ता इस बात की हो रही है कि इनकी लालबत्ती उतर जाने से अब हम इनसे कैसे सावधान होंगे? फिलहाल संतोष की बात यही अावश्यक सेवाओं की बत्ती लिए हुए तो ये दिखेंगे ही! आखिर आमजन के भाग्योदय का अधिकार भी तो इनने थाम रखा है। लेकिन अपने देश का यह आमजन बेचारा “जाहीं विधि राखे राम ताहीं विधि रहिए” की मान्यता का चिरकालिक विश्वासी है, उसे अपने भाग्योदय की कोई जल्दी नहीं पड़ी है। फिर भी, भाग्योदय का नारा बुलंद करने वाले कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कुर्सीधारी व्यक्ति के आभामंडल के सितारे बन उसके चारों ओर निरंतर परिक्रमा-पथ पर चलायमान होते हैं और फिर ऐसे आभामंडल से युक्त वह कुर्सीधारी देवतूल्य होने का दर्जा प्राप्त कर लेता है। हाँ तो भाई, अब उतारते रहो बत्ती!! 
      
           एक दिन बिना बत्ती की गाड़ी देखी थी। एकदम आम आदमी टाइप जैसी गाड़ी, बस उसका माडल थोड़ा अलग किस्म का था, लेकिन बिना लालबत्ती के भी, उसे देखते ही मैं समझ गया, “हो न हो यह वीवीआईपी गाड़ी है!” और, मैं ही नहीं कोई भी दृष्टि-दोष-बाधित आदमी बिना लालबत्ती के भी इसे लाल बत्ती वाली गाड़ी समझ लेता। क्योंकि, अपना भाग्य बदलवाने के चक्कर में, मेरी समझ से, उस वीवीआईपी गाड़ी के आभामंडल के सितारे की तरह, उसका चक्कर काटते हुए हाँफते, लाँघते, आम आदमी को रौंदते मुस्दंडे टाइप के लोग उस गाड़ी के आगे-पीछे भागे चले जा रहे थे ! लो, अब उतरवाओ लालबत्ती! क्या-क्या उतरवाओगे भई?

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