रविवार, 25 सितंबर 2016

सुपरस्टारी का चक्कर

           चीजें सब वैसी ही हैं जैसे कल थी। सुबह टहलते हुए ग्रुप से वही कल वाली बात फिर सुनी "कार्यवाही का अधिकार सेना को दे दिया गया है"। आज अन्तर यह था कि ग्रुप द्वारा इस कथन को सबसे बढ़िया बात बताया जा रहा था। हाँ.. ग्रुप से नमस्कारी-नमस्कारा हुआ और मैं आगे बढ़ गया था। सबेरे अखबार तो पढ़ी लेकिन अन्यमनस्क ही रहा, कोई उल्लेखनीय बात मैं, समझ नहीं पाया। 

            

              अखबार पढ़ने के बाद फैन चालू किया और टी वी भी चला दिया.. सोचा अब तक हो सकता है युद्ध शुरू हो जाने की कोई फड़कती हुई खबर मिल जाए! क्योंकि, इधर देख रहा हूँ, क्या बुद्धिजीवी...क्या भगत..सभी युद्धोन्माद में दिखाई दे रहे हैं। हाँ.. यह युद्धोन्माद उनमें अलग-अलग टाइप का है! भगत बेचारे युद्धवत्सल तो हो ही रहे हैं, बुद्धिजीवी भी अपने तरीके की वत्सलता निभा रहे हैं,। वैसे भगत तो, बुद्धिजीवी होते ही नहीं, कारण यही कि बुद्धिजीवी उन्हें अपनी जमात में शमिलई नहीं होने देते! इनमें उन्माद का स्तर ऐसा कि ये दोनों "न भूतो न भविष्यति" के अन्दाज में ही दिखाई दे रहे हैं..हाँ, आज नहीं तो फिर कभी नहीं..जैसा! मतलब युद्ध तो हो ही जाए के अन्दाज में, पता नहीं फिर अवसर मिलेगा भी या नहीं।

           इस उन्माद में बुद्धिजीवी वर्ग नए तरीके से शामिल हैं, जैसे इस समय उनके दोनों हाथों में किसी ने लड्डू धर दिया हो..उनके द्वारा तड़ातड़ भक्तों की खिल्ली उड़ाई जा रही है..कि...देखो! तुम्हारे ओ, कितने झूठे निकले..अभी तक युद्ध नहीं शुरू हुआ..हम कहते थे न.." मतलब यदि युद्ध होता है तो भी इन बुद्धिजीवियों के मजे और न हो तो भी। युद्ध छिड़ जाने की दशा में इनके मजे होने या न होने का अनुपात फिफ्टी-फिफ्टी होगा..! आप कहेंगे कैसे..? सो ऐसे कि, यदि देश जीतता है तो इनके बुद्धि के किसी कोने में बैठी इनकी भी देशभक्ति-भावना हिलोरें ले लेंगी..हो सकता है ये भी खुश हो जाएँ! लेकिन हाँ, इससे फिफ्टी परसेंट का इन्हें नुकसान यह होगा कि तब भक्तों की बल्ले-बल्ले हो जाएगी, जो इनपर नागवार गुजरेगा। ऐसे में, ये बौद्धिक सम्प्रदाय यही चाहेंगे कि युद्ध का परिणाम बेनतीजा ही रहे...वह भी इसलिए कि भगतई की औकात बताई जा सके। 

         हाँ.., अब अगर युद्ध शुरू नहीं होता है तब तो, इन बुद्धिजीवियों के मजे ही मजे हैं..एकदम हंड्रेड परसेंट! मतलब तब ये चहकते हुए कह रहे होंगे, "देखा! हम न कहते थे..!" ऐसी दशा में, भगत बेचारों को बिल में मुँह छुपाना पडे़गा। मतलब, भगत बेचारों की दुर्गति ही दुर्गति है...एक तो अभी तक युद्ध नहीं शुरू हुआ, दूसरे यदि शुरू भी होता है तो पता नहीं परिणाम, क्या होगा! और इधर बुद्धिवादी मजे पर मजे लिए जा रहे हैं और मजे ले रहे होंगे...। मैं तो कहता हूँ, इन भगत बेचारों से कि, पाकिस्तान से भले ही पंगा ले लो मगर इन बुद्धिमानों से पंगा मत लेना, नहीं तो, ये कहीं फँसा ही देंगे..।

         निष्कर्षतः हम तो भाई मान लिए हैं कि, कुल मिलाकर यह युद्ध तो छिड़ ही चुका है ; भगत वर्सेज अदर में!  और अपने-अपने तरीके से! इनके बीच में यह युद्ध ही "बोन आफ कंन्टेंशन" बन चुका है, अब पाकिस्तान गया तेल लेने..!

 

          हाँ तो, मैंने फैन तो चला ही दिया था, इसकी ठंडी-ठंडी हवाओं में ऐसे ही "बोन आफ कंन्टेंशन" का तलाश भी करता जा रहा था...तब तक टी वी की एक समाचार पट्टी पर निगाह पड़ी जिसमें कोई सुपरस्टार "अपने फैन से नाराज हुए" धीरे-धीरे सरक रहा था! दिखा। 

         इसे पढ़ते ही मैंने अपने सिर के ऊपर चल रहे फैन को देखा, बेचारे अपने गति में चले जा रहे थे और मेरे ऊपर ठंडी-ठंडी हवाएँ फेंकते जा रहे थे...सिर के ऊपर की इनकी चाल से मेरे शरीर की गर्मी नियंत्रित हो रही थी..और ठंडी हवाओं के प्रभाव में सोचा, "अब भला मैं अपने इस फैन पर क्यों नाराज होऊँ...!!  लेकिन, ये सुपरस्टार महोदय अपने फैन से न जाने क्यों नाराज हुए! हो सकता है, हो सकता है...फैन लोगों ने सुपरस्टार से धक्कामुक्की कर दिया हो...लेकिन भाई, फैन तो फैन ठहरे, आखिर आपको सुपरस्टार बनाया है, धक्कामुक्की करने का इतना हक् तो उनका बनता ही है..! और फिर, फैन सिर पर ही तो चढ़कर बोलते हैं.." हाँ, मैंने ध्यान दिया मेरा भी फैन हाई और लो वोल्टेज के चक्कर में सिर के ऊपर ही रह-रहकर घर्र-घर्र कर जाता था...बस अन्तर इतना ही है कि हम अपने-अपने फैन से अपने-अपने तरीके से आनंद उठाते हैं ; जैसे मेरा अपना फैन मुझे ठंडई का अहसास करा रहा था जबकि उनके फैन उन्हें गरम कर रहे होंगे, और वो इस गर्मी के चक्कर में अपने फैन से अपने सुपरस्टारी का आनंद उठाते-उठाते कुछ ज्यादा ही गरम हो गए होंगे, तो नाराज हो बैठे होंगे। मतलब यह भी कि सुपरस्टारों के फैन गरमी देते हैं। खैर, हम जैसे लोग, फैन के ठंडी हवाओं भर से संतोष कर लेते हैं, वो गरमी देते भी नहीं। 

    

              बेचारे, इन सुपरस्टारों की बड़ी शामत है! इनके फैन हैं कि अपने फैनई से बाज नहीं आते, गरमी ही देते जाते हैं, और खामियाजा बेचारे सुपरस्टार को भुगतना पड़ता है! चलो हो सकता है, वह समाचार वाला सुपरस्टार, फैन की धक्कामुक्की से परेशान होकर नाराज हुआ हो। लेकिन, यदि कोई सुपरस्टार, बोन आफ कंटेन्शन के चक्कर मे पड़ जाय तो फिर पूँछो मत...कभी-कभी तो उसे मैदान भी छोड़ना पड़ जाता है। बात यह होती है कि जब सुपरस्टार अपने फैनों के फैनई से गरम हो जाते हैं तो फैलने लगते हैं, फिर यहीं से वे स्वयं, बोन आफ कंन्टेंशन बन जाते हैं। 

            मैं तो कहुँगा...कि...सुपरस्टारों को कभी भी अपने लाईकर्स-ग्रुप के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए नहीं तो "बोन आफ कंन्टेंशन" के चक्कर में फँसकर किसी व्यंग्यकार की भाषा में कहें तो इनकी "मरन" है..!! पाकिस्तान की तो बाद में जो होगा सो होगा ही...

            वैसे इस लिखने को आज की #मनचर्या मान सकते हैं, किस दिन मन कैसा सोचा, इसे भी तो #दिनचर्या का ही हिस्सा माना जा सकता है। आज बस इतना ही..अब खाना खाकर सोएंगे...कल की कल देखी जाएगी। 

       चलते-चलते...

       

         अपने-अपने फैन से बच कर रहो, नहीं तो ये,..बोन आफ कंन्टेंशन..आप ही को बना देंगे...

                           --Vinay 

                          #दिनचर्या 15/21.9.16

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