गुरुवार, 18 अगस्त 2016

समस्याओं की चिल्ल-पों

             देश में समस्याओं का अम्बार है और क्या नेता..! क्या अभिनेता..! क्या कवि-साहित्यकार-पत्रकार...! और क्या रोडमास्टरी करनेवाले...! सभी अपने-अपने तईं इन समस्याओं को हल करने में जुटे पड़े हैं... और समस्या है कि हल होने का नाम ही नहीं ले रही। खैर..
         ऐसे में बेचारी निरीह इस समस्या की क्या दशा है..? वह भी कम नहीं है..! वह भी तो चालाक ही निकली..इतने हलकार को देख जैसे वह भी गर्वोन्मत्त हो चुकी है..और यह "समस्या के आगे सब मिलि बीन बजावै, अरु समस्या खड़ी पगुराय!" के साथ मनुहारी दृश्य उपस्थित कर रही है! हाँ.. समस्या और उसके हलकारों के बीच अब यही स्थिति बन चुकी है।
             लेकिन ये हलकार इस समस्या को छोड़कर जाने वाले भी नही..कोई इसके सामने सानी-पानी लेकर खड़ा है, तो कोई इसकी सींग पकड़े "यूरेका-यूरेका" चिल्ला रहा है तो कोई इसकी पूँछ पकड़ बोल रहा है "मिल गई समस्या की जड़!" और साथ में ही इन्हें घेलवा में जयकारा भी मिलना शुरू! आखिर समस्या के जो हलकार ठहरे..!! इन हलकारों के लिए समस्या इति सिद्धम्..।
              अन्त में, अब हम तो यही मानने लगे हैं.. हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या यही है कि देश के सारे लोग देश की समस्या को हल करने के लिए लग गए हैं।
           अगर आप बाकी हैं, तो आप भी अपना सब-कुछ फेंक-फाँक कर समस्या के हल में जुट जाएँ...फिर ये मौका हाथ न आएगा..! न सही तो समस्या का पैर ही पकड़ लें या समस्यावेत्ता बन अपने जयकारे का मजा लूटें..! और...इधर मैं..! मैं..हाँ, मैं क्या करूँ... अरे हाँ!! अपने नाम से सटे "तिवारी" हटा कर लोगों को और कुछ न सही ब्राह्मणवाद से ही मुक्ति दे दूँ... कैसा रहेगा..?

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