गुरुवार, 1 जनवरी 2015

ये तर्क-विहीन बेशर्म वितंडावादी..!

          तथाकथित नया वर्ष २०१५ का आज पहला दिन है, आज किसी तरह की बौद्धिक चर्चा रुचिकर नहीं हो सकती और खासकर धर्म जैसे विषय को लेकर| इसे पोस्ट करते हुए मुझे दुःख भी है | लेकिन एक मासूम सा प्रश्न सामने उसी मासूमियत से आया, “क्या वाकई देश किसी एक मज़हब (हिन्दू) वालों का हो जाएगा..? आखिर हम भी तो भारतीय हैं, तो फिर यह घर वापसी जैसी बात क्यों हो रही है...या लव जिहाद का डंका पीटकर गाली क्यों दी जा रही है...आखिर हम भी तो देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार हैं...फिर यह अपमान क्यों..?” बताने की आवश्यकता नहीं ये वाक्य हमारे ही देशवासी या एक भारतीय मुसलमान की थी और ऐसे ही प्रश्न अन्य सीधे-साधे भारतीय मुसलामानों के भी हो सकते है| यह प्रश्न मन को हिलानेवाला था और फिल्म पी.के. का गुंडों के माध्यम से किया जा रहा विरोध भी मन को गुस्से से भर दिया इसीलिए इस पोस्ट को लिखने से अपने को रोक नहीं पाया|
          मैं हिन्दू हूँ..इसकी परिभाषा मैं आज तक नहीं जान पाया कि मैं हिन्दू क्यों हूँ..? हिन्दू किसे कहते हैं..? इस प्रश्न के चिंतन से निम्न उत्तर मुझे प्राप्त हुए हैं..

१. क्योंकि मैं ईश्वर को मानता हूँ।
२. क्योंकि मैं ईश्वर को नहीं मानता हूँ।
३. क्योंकि मैं मूर्तिपूजक हूँ।
४. क्योंकि मैं मूर्तिपूजक नहीं हूँ।
५. क्योंकि मैं निराकार ब्रह्म का उपासक हूँ।
६. क्योंकि मैं वैष्णव हूँ।
७. क्योंकि मैं शाक्त हूँ।
८. क्योंकि मेरे भगवान् विष्णु है।
९. क्योंकि मैं तो केवल शंकर भगवन को ही मानता हूँ।
१०. क्योंकि मैं तो देवी का उपासक हूँ।
११. क्योंकि मैं तो केवल अपने वाले ही भगवन को मानता हूँ।
१२. क्योंकि मैं तैतीस करोड़ देवताओं को मानता हूँ।
१३. क्योंकि मैं केवल गृहस्थ आश्रम में ही विश्वास करता हूँ।
१४. क्योंकि मैं सन्यासी हूँ या केवल सन्यास आश्रम में ही विश्वास करता हूँ।
१५. क्योंकि मैं गुरु मानता हूँ।
१६. क्योंकि मैं गुरु नहीं मानता।
१७. क्योंकि मैं इनमें से किसी पर विश्वास नहीं करता केवल चार्वाक वादी हूँ, केवल सुखवादी हूँ।
१८. क्योंकि मैं केवल शाकाहारी हूँ।
१९. क्योंकि मैं मांसाहारी हूँ।
२०. क्योंकि मैं पगड़ी पहनता हूँ।
२१. क्योंकि मैं पगड़ी नहीं पहनता।
२२. क्योंकि हम कुरता-धोती पहनते है।
२३. क्योंकि हम कुरता-धोती नहीं पहनते।
२४. क्योंकि हम पैंट-शर्ट पहनते है।
२५. क्योंकि हम पायजामा पहनते है।
२६. क्योंकि हम पेड़ों को भी पूजते हैं।
२७. क्योंकि पेड़ों को काटते हैं।
२८. क्योंकि हम शव चिता में जलाते हैं।
२९. क्योंकि हम शव को जमीन में भी दफ़न करते है।
३० .क्योंकि हम ऊँची जाति के हैं।
३१. क्योंकि हम नीची जाति के हैं।
३२. क्योंकि हम जाति मानते है, जाति नहीं भी मानते।
३३. क्योंकि मैं इसे भी मान सकता हूँ, इसे नहीं मान सकता, इसे मान सकता हूँ नहीं भी मान सकता..इसे न मान सकता हूँ और न न मान सकता हूँ। 
       
       ऐसे ही अभी अनगिनत उत्तर शेष हैं..! यदि इन उत्तरों में से कोई एक ही हम माने और शेष को न माने या सभी उत्तरों को एक साथ माने तो भी हम हिन्दू है। इन उत्तरों से सिद्ध है कि हमारे तमाम घर हैं, इनमें से किसी एक घर में रहने पर भी हम हिन्दू माने जा सकते हैं, तब आखिर किस घर में वापसी की बात की जा रही है..?
   
         तो फिर..अपने को हिन्दू कहने वाले किसके लिए वितंडावाद खड़ा कर रहे है...घर वापसी की बात भी कर रहे हैं। ये बेशर्म वितंडावादी भारतीयता का विरोध कर रहे हैं और एक सीधे-साधे मुसलमान के सामने इनके कृत्यों से यदि अपनी पहचान को लेकर कोई प्रश्न खड़ा होता है तो ये तर्क-विहीन वितंडावादी देशद्रोही है|

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