गुरुवार, 8 सितंबर 2016

सपाटबयानी

             आज लिखने के लिए कोई खास बात दिमाग में नहीं आ रहा है; ऐसा, नहीं जो पहले लिखा, वह कोई खास बात रही हो, ऐसी आत्ममुग्धता आत्महन्ता जैसी होती है। सोचता हूँ, जब लिखने के लिए कोई बात समझ में न आए तो, कुछ रोजमर्रा टाइप अपनी दिनचर्या ही लिख मारें, और उसे आपसे शेयर करें। वैसे तो, मन में कोई विशेष बात आती है तो, आपसे शेयर करता ही हूँ, लेकिन इस रोजमर्रे को सपाटबयानी के अन्दाज में ही आपसे कह दिया करूँगा। अब "सपाटबयानी" को कोई असाहित्यिक ढंग का माने तो, इसमें मेरा क्या कुसूर..आखिर कुछ तो लिखा गया..! कोई कूड़ा समझे तो समझे, जिसका मन हो पढ़े जिसका मन हो न पढ़े..! हाँ, आपको ऐसी चीज पढ़ने के लिए ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ेगा। यदि कोई आड़ी-तिरछी भावुकता भरी बातें कहनी होगी तो, उसे अलग से, जैसे कहता रहा हूँ, वैसे ही कहता रहूँगा। असल में, मैं क्यों लिखना चाहता हूँ..मेरे लिए कहना कठिन है। हाँ, कभी-कभी मन में कुछ ऐसी बातें उठती हैं कि, उसे लेकर दूसरों से बात करने पर अच्छा लगता है बस, हो सकता है यही कारण हो या एक अच्छा सा माध्यम मिल गया है, जैसे, अपनी बात मैं बिना छपे हुए अपने से जुड़े लोगों तक पहुँचा सकता हूँ...हाँ, अपने इस रोजनामचे को मैं अकसर आपसे शाम को ही शेयर करने की कोशिश करुँगा, कारण, यदि आप पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ते ही आपको नींद भी आ जाए।
         
              मित्रों! मेरी पोस्टों को लाइक करने या न करने की ज्यादा टेंशन न लिया करे, और इस सम्बन्ध में अपने मनानुसार ही निर्णय लिया करें। हाँ, इतना जरूर है कि यदि आप कभी मुझे अमित्र करना चाहें तो इसका कारण अवश्य बता दीजिएगा। वैसे यदि नहीं भी बताते हैं तो भी चलेगा।
        
              तो शुरू करता हूँ....आज तीन बजे तड़के नींद खुली, घड़ी देखने पर पता चला था कि तीन बजे ही नींद खुली थी। खुश हुआ कि अभी दो घंटे और सो सकते हैं..असल में पाँच बजे टहलने जाते हैं...चादर तान कर फिर सो गए। साढ़े चार बजे का एलार्म बजने पर यह सोचकर टस से मस नहीं हुए कि अभी आधा घंटा और सो सकते हैं। उसके बाद जब आँख खुली तो साढ़े पाँच बज चुके थे। मन थोड़ा खिन्न हुआ कि अब क्या टहलने जाएँ..लोग चेहरा देखेंगे..और नाहक ही दुआ-सलाम की औपचारिकता होगी..अपन जितना लिखते हैं उतने मानवीय नहीं हैं, लोगों को सलाम करने और उनकी दुआ लेने से बचना चाहते हैं, फिर सलामी भी नहीं चाहते..अगर बहुत हुआ तो इस दुआ-सलामी से बेहतर मैं एक-दूसरे को देख मुस्कुराना अधिक पसंद करता हूँ..! हम टहलते समय बात भी करना पसंद नहीं करते..तो इन्हीं सब वजहों से "अर्ली मार्निग" ही टहलना पसंद करते हैं, तब स्टेडियम में ज्यादा भीड़ भी नहीं होती।
         
            तो, साढ़े पाँच बजे टहलने निकल लिया..स्टेडियम पहुँचे..रोज की भाँति वह कार हमसे पहले ही आकर वहाँ खड़ी थी और कार सवार तीन-चार लोग ग्रुप में स्टेडियम का चक्कर लगा रहे थे..ये कार से नियमित स्टेडियम आते हैं और आपस में खूब बतियाते हुए टहलते हैं, इनमें से एक के अभिवादन का उत्तर देते हुए जब मैं इनके पास से गुजरा..असल में, मेरे टहलने की गति थोड़ी तेज होती है...तो, ये मोदी की अमेरिकी नीति पर प्रशंसात्मक ढंग से चर्चा कर रहे थे..पहला चक्कर मैंने पूरा किया, इसमें आठ मिनट लगते हैं...देखा! विजय सागर की विशाल जलराशि के उस पार पहाड़ों के ऊपर असमान में बादलों में लालिमा छा रही थी..मतलब सूर्योदय  की तैयारी चल रही थी। विजय सागर स्टेडियम के एकदम पास से ही शुरू होता है। खैर, फोन साथ में नहीं था नहीं तो तस्वीर ले ही लेता, आपको दिखाने के लिए..! लेकिन अगली बार ऐसे ही सूर्योदय के टाइमिंग पर आएँगे तो यहाँ के दृश्य से परिचित करा देंगे। इधर दूसरी ओर देखा एक युवक कुछ लड़कियों को एक्सरसाइज करा रहा उसके स्टेप जैसे पड़ रहे थे, वैसे ही लड़कियों के भी स्टेप पड़ रहे थे.. देखकर न जाने क्यों अच्छा लगा..!
         
            टहलकर आने पर अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गए। जैसे मैंने स्वयं अपनी चाय बनाई...सुबह की चाय मैं स्वयं बनाता हूँ...और चाय पीते-पीते अखबार पढ़ता हूँ। दैनिक जागरण में सम्पादकीय "लाइलाज स्वास्थ्य विभाग" पढ़ा, फिर "हिन्दुस्तान" में "प्रलोभन से देश नहीं चलता - प्रधानमंत्री" समाचार के रूप में यह वक्तव्य अच्छा लगा। यहाँ यह क्यों अच्छा लगा इसके बारे में बतिया कर आपका दिमाग नहीं चाटेंगे..! हाँ, इस अखबार की एक छोटी सी हेडिंग "अफसर देख रहे सोशल मीडिया" पर नजर अटक गई डर भी गया था! पढ़ने पर पता चला कि विभाग स्वयं सोशल मीडिया पर सक्रिय रहता है। ऐसे द्विअर्थी शीर्षक शायद सायास डाले जाते हों.. अखबार वाले जाने।
          
                दिन में आपसे शेयर करने लायक कोई घटना सामने नहीं आई नहीं तो उसे भी आपसे बताता। 
                                    - Vinay 
                                  #दिनचर्या 1/31.8.16

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